कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इस बार भले ही सीधे तौर पर चुनावी मुकाबले में नहीं उतरी हों, लेकिन अपने परिवार के राजनीतिक गढ़ रायबरेली और अमेठी में एक ‘नॉन प्लेइंग कैप्टन’ की भूमिका को वह बखूबी अंजाम दे रही हैं’ वह इन दोनों संसदीय क्षेत्रों में न सिर्फ पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभाले हुए हैं, बल्कि पर्दे के पीछे की मुख्य रणनीतिकार भी हैं’
इन दोनों सीट पर जनता से मुखातिब होते हुए प्रियंका गांधी अपने पिता राजीव गांधी की हत्या और उस समय के अपनी मां के दर्द को बयां करने के साथ ही अपने बचपन की यादों के जरिये लोगों से जुड़ने की कोशिश करती हैं. साथ ही, वह राष्ट्रीय मुद्दों का भी उल्लेख कर लोगों को कांग्रेस के पक्ष में लामबंद करने का प्रयास करती हैं.
प्रियंका गांधी की इस पूरी कवायद का मकसद रायबरेली से कांग्रेस उम्मीदवार और भाई राहुल गांधी तथा अमेठी से पार्टी के प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा की जीत सुनिश्चित करना है. भाजपा ने रायबरेली से दिनेश सिंह को उम्मीदवार बनया है तो अमेठी से एक बार फिर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी चुनावी मैदान में हैं.
प्रियंका गांधी के सामने चुनौती कम समय में दोनों संसदीय क्षेत्रों में मतदाताओं का भरोसा जीतने की है. वह हिंदी पट्टी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील और राम मंदिर से जुड़े भारतीय जनता पार्टी के विमर्श का मुकाबला करने की कोशिश में हैं. प्रियंका गांधी यहां रणनीतिकार, वक्ता और लोगों को लामबंद करने वाली हैं. वह पिछले कई दिनों से रायबरेली और अमेठी में डेरा डाले हुए है तथा वह सुर्खियों का केंद्र हैं.