पाकिस्तान ने भारतीय राजदूत को निकाला, द्विपक्षीय व्यापार किए निलंबित


भारत प्रशासित कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने को लेकर पाकिस्तान ने भारत से राजनयिक संबंध सीमित करने और द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध तोड़ने की घोषणा की है.

प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की अध्यक्षता में पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक हुई जिसमें भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते को निलंबित करने की घोषणा की गई है.

इस बैठक में विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री समेत सेना और खुफ़िया एजेंसियों के अधिकारी भी मौजूद थे.

राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की ओर जारी बयान के मुताबिक़, ”बैठक में कश्मीर की स्वायत्तता पर भारत सरकार की ओर से एकतरफ़ा और ग़ैरक़ानूनी कार्रवाई किए जाने से पैदा हुई परिस्थिति पर चर्चा हुई.”

बैठक में भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर और नियंत्रण रेखा के हालात पर भी विचार हुआ.

इस बैठक में भारत के साथ राजनयिक रिश्ते सीमित करने और द्विपक्षीय व्यापार को निलंबित करने का फ़ैसला किया गया है.

एआरवाई टीवी से पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा है कि दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास से वो अपने राजदूत को जल्द बुला लेंगे और इस्लामाबाद से भारतीय राजदूत को वापस जाने को कहेंगे.

इसके साथ ही इस मसले को संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद में उठाने का फ़ैसला किया गया है.

बैठक में तय किया गया कि पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को कश्मीरियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के रूप में मनाया जाएगा जबकि भारत के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को काला दिवस मनाया जाएगा.

बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने मानवाधिकार उल्लंघन के संबंध में भारत के ख़िलाफ़ सभी कूटनीतिक चैनलों के इस्तेमाल के निर्देश दिए हैं. इमरान ख़ान ने सेना को भी सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं.

बुधवार को पाकिस्तान के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की निंदा की गई.

भारत के साथ राजनयिक रिश्तों को सीमित करने के मसले पर पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रह चुके जी पार्थसारथी ने बीबीसी हिन्दी के रेडियो संपादक राजेश जोशी से कहा कि इसमें कोई नई बात नहीं है. उन्होंने कहा, “जब भारत की संसद पर हमला हुआ तो उसमें जैश-ए-मोहम्मद की संलिप्तता सामने आई थी, तब भारत ने भी अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया था. पाकिस्तान ने भी ऐसा ही किया. लेकिन फिर भी संपर्क तो रहता ही है.”

पार्थसारथी के अनुसार, “इस मसले पर पाकिस्तान कुछ कर नहीं पाया है और उसके सामने पहले से आर्थिक दिक्क़तें हैं. जहां तक संयुक्त राष्ट्र में जाने का सवाल है वो पहले भी जाते रहे हैं. इनके पास और कोई विकल्प तो है नहीं.”

पार्थसारथी ने ये भी कहा कि ‘इमरान ख़ान पाकिस्तानी सेना के एक सहायक की भूमिका में हैं और जो सेना कहेगी वो करेंगे. अभी के हालात में सेना समझ चुकी है कि बल प्रयोग से कुछ निकलने वाला नहीं है.’

भारत प्रशासित कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पैदा हुई आपातस्थिति को लेकर बुधवार को दूसरे दिन भी नेशनल असेंबली और सीनेट की संयुक्त बैठक हुई.

पाकिस्तान की संसद के संयुक्त सत्र में भी कश्मीर के हालात पर चर्चा की गई.

पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शीरीन मज़ारी ने कहा कि कश्मीर में भारत जो कर रहा है वो ‘किसी धूर्त सरकार के युद्ध अपराधों’ जैसा है.

उन्होंने कहा कि भारत ने जो किया है उसे देखते हुए पाकिस्तान के लोग भारत की सरकार को ‘धूर्त सरकार’ कहते हैं.

उन्होंने कहा कि ‘कश्मीर को विवादित क्षेत्र घोषित करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का उल्लंघन किया गया है.’

“भारत जो हिंसा कर रहा है वो स्पष्ट रूप से नस्लीय सफ़ाया और नरसंहार है.”

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ये पूछना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र का दख़ल करने का अधिकार कहां चला गया है.

वहीं पाकिस्तानी पीपुल्स पार्टी के सीनेटर राजा रब्बानी ने कहा कि कश्मीर अब उपमहाद्वीप का गज़ापट्टी बन जाएगा.

“अगर आप इसे व्यापक संदर्भ में देखें तो ये अमरीका, इसराइल और भारत का एक गठजोड़ है जिसे हम देख नहीं पा रहे हैं. क्या हम भूल गए हैं कि जब ट्रंप ने मध्यस्थता की तो गोलान हाइट्स इसराइल को दे दिया.”

राजा रब्बानी ने कहा कि नियंत्रण रेखा के पास पट्टनी बनने से शरणार्थी पाकिस्तान में आएंगे और हमेशा युद्ध का ख़तरा बना रहेगा.

उन्होंने कहा, “मोदी ने हिंदुओं के लिए कश्मीर को कश्मीरियों से जीत लिया है.”

वहीं पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी ने कहा कि कश्मीर में जो हुआ है वो ‘पूर्वी पाकिस्तान त्रासदी’ जैसा है.

वहीं पाकिस्तान मुस्लिम लीग के नेता ख़्वाजा आसिफ़ ने इमरान ख़ान के संयुक्त सत्र के पहले दिन दिए गए भाषण पर निशाना साधते हुए कहा, “इतिहास पढ़ना ही काफ़ी नहीं होता, इतिहास से सबक़ भी लेने चाहिए.”

उन्होंने कहा, “हमें ये मत बताओ कि इतिहास में क्या हुआ है, हमें ये बताओ कि भविष्य में क्या होने वाला है.”

पीएमएल-एन के ही राजा ज़फ़र ने कहा कि ऐसा लगता है कि पाकिस्तान भारत के इस क़दम के लिए तैयार नहीं था.

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