‘नीतीश सबके हैं’, सियासत के चाणक्य नीतीश कुमार से जुड़े इन किस्सों को जानकार हो जाएंगे हैरान!

‘नीतीश सबके हैं’ इन दिनों इस लाइन के साथ बड़ा सा बैनर पटना में जदयू दफ्तर के अंदर लगा हुआ है. जदयू के नेता इसे देख बेहद उत्साहित भी होते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि नीतीश कुमार जब से बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं, कुछ ऐसे दिलचस्प बातें निकलकर सामने आती हैं, जिसे जानकर आप भी थोड़े हैरान होंगे. नीतीश कुमार से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सों को जानिए.

दरअसल नीतीश कुमार 2005 में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे. बीच के कुछ महीनों को छोड़ दे जब उन्होंने नैतिकता का हवाला देकर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी थी. तब से लगातार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हुए हैं. उनके मुख्यमंत्री रहते अबतक बिहार का कितना विकास हुआ कि नहीं ये राजनीतिक बहस का विषय है. लेकिन, नीतीश कुमार से जुड़े कुछ दिलचस्प राजनीतिक जानकारी हैरान करती है.

बता दें, 2014  में जदयू-कांग्रेस-राजद का महागठबंधन बना और गठबंधन ने नीतीश कुमार को 2015 में राज्य चुनाव जीतने में मदद की. इससे लालू यादव के उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव के लिए राह खुली. इसके बाद नीतीश कुमार ने 2017 में फिर से पलटी मारी और बीजेपी से हाथ मिला लिया. कई मतभेदों के बाद नीतीश कुमार ने अगस्त 2022 में बीजेपी से नाता तोड़ लिया. फिर से जनवरी,  2024 में गठबंधन से पलटी मार बीजेपी के साथ हो लिए.

  1. नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे ज्यादा 9 बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री बन गए हैं और अभी भी राजनीतिक सफर जारी है.
  2. नीतीश कुमार जब एनडीए के साथ रहे तो विरोधी दल ने उनके खिलाफ खूब हमला बोला. वहीं जब महागठबंधन की तरफ रहे तो एनडीए ने निशाने पर रखा. लेकिन, हैरानी तो तब होती है जब जिन लोगों ने उनपर सबसे ज़्यादा हमलावर रुख दिखाया था. उन सभी को राज्य के उप-मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाकर शांत करा दिया. जैसे सुशील कुमार मोदी, तेजस्वी यादव, सम्राट चौधरी , विजय सिन्हा जैसे नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार में डिप्टी सीएम बने.
  3. 2005 से अभी तक नीतीश कुमार ने सैंकड़ों की संख्या में विधायकों को मंत्री बनाया है और आगे भी मंत्रिमंडल विस्तार करने वाले हैं.
  4. 2005 से अभी तक नीतीश कुमार ने सैंकड़ों की संख्या में विधायकों को मंत्री बनाया है और आगे भी मंत्रिमंडल विस्तार करने वाले हैं.
  5. नीतीश कुमार पहली बार 1994 में जनता दल से अलग समता पार्टी का गठन किया और 2005 में पहली बार बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई. लगभग 8 साल के बाद बीजेपी द्वारा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाये जाने पर नीतीश कुमार ने 2013 में पाला बदला. वहीं 2014 में लोकसभा चुनाव में हार के बाद नैतिकता के नाम पर इस्तीफ़ा देकर मांझी को मुख्यमंत्री बनाया और बाद में जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिये कांग्रेस-राजद से हाथ मिलाया था.
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