
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करेंगे. पीटीआई के मुताबिक लोकसभा में सोमवार को होने वाले कार्यों की सूची के मुताबिक गृह मंत्री दोपहर में विधेयक पेश करेंगे जिसमें छह दशक पुराने नागरिकता कानून में संशोधन की बात कही गयी है. इसके बाद इस पर चर्चा होगी और इसे पारित कराया जाएगा.
नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी.
यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी वादा था. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा नीत राजग सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था और वहां पारित भी करा लिया था. लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया था. पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद इस विधेयक की मियाद भी खत्म हो गयी थी.
इस विधेयक के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों में एक बार फिर व्यापक प्रदर्शन शुरू हो गए हैं और काफी संख्या में लोग और संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे असम समझौता 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे जिसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है. इस विधेयक के विरोध में प्रभावशाली पूर्वोत्तर छात्र संगठन (नेसो) ने क्षेत्र में दस दिसम्बर को 11 घंटे के बंद का आह्वान किया है.