नमो टीवी को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की शिकायत पर चुनाव आयोग ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से जवाब मांगा है। कांग्रेस और आप ने शिकायत की थी कि आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए मौजूदा सरकार ने ‘नमो टीवी’ लांच कर दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मंत्रालय ने आयोग को सफाई दी है कि नमो टीवी न्यूज चैनल नहीं, विज्ञापन प्लेटफॉर्म है।
लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण की वोटिंग बेहद नजदीक है ऐसे में ‘नमो टीवी’ की लॉन्चिंग पर विपक्ष बीजेपी की कड़ी आलोचना कर रहा है। आम आदमी पार्टी ने इसी मामले में हाल ही में चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि नमो टीवी की लॉन्चिंग की अनुमति क्यों दी गई। बाद में कांग्रेस पार्टी ने भी चुनाव आयोग से शिकायत की थी। नमो टीवी लॉन्चिंग के सवाल पर चुनाव आयोग ने अब सूचना और प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिखकर जवाब मांगा है।
वहीं सूचना प्रसारण मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय ने चुनाव आयोग को अपने जवाब में नमो टीवी पर सफाई दी है. मंत्रालय का कहना है कि नमो टीवी कोई लाइसेंस प्राप्त चैनल नहीं बल्कि विज्ञापन प्लेटफॉर्म है। मंत्रालय तो महज टीवी चैनल्स को लाइसेंस देता है। जहां तक नमो टीवी प्लेटफार्म की बात है तो इसके जरिए हो रहे विज्ञापन और चैनल संचालन का पूरा खर्च पार्टी वहन कर रही है। इसका ब्यौरा निर्वाचन आयोग को भेजे बीजेपी के सालाना ऑडिट में भी है।
चुनाव आयोग ने मंत्रालय से पूछा है कि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले नमो टीवी की अचानक लॉन्चिंग कैसे हुई। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि आचार संहिता लगने के बाद भी कैसे किसी राजनीतिक पार्टी के समर्थन वाले टीवी को प्रसारण की अनुमति दी जा सकती है।
इस टीवी को 31 मार्च को लॉन्च किया गया था। इस चैनल पर पीएम मोदी के भाषण और भाजपा आधारित कई वीडियोज हैं।
आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि आचार संहिता लागू होने के बाद भी किसी राजनीतिक पार्टी को यह अधिकार कैसे है कि वह अपना खुद का चैनल शुरू कर सके। आम आदमी पार्टी ने यह भी सवाल पूछा था कि नमो टीवी में चलने वाले कंटेट की मॉनिटरिंग कौन करेगा।