जैश प्रमुख मसूद अजहर वैश्विक आतंकवादी घोषित

नई दिल्ली। जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया गया है। यूएन ने मसूद अजहर का नाम ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है. भारत लंबे समय से मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आंतकी घोषित करने की मांग कर रहा था। मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने को लेकर इस बार चीन ने कोई अड़ंगा नहीं लगाया है। मसूद अजहर पर भारत में कई बड़े आतंकी हमले कराने का आरोप है। इनमें संसद पर हमला, पुलवामा हमला और पठानकोट हमला मुख्य रूप से शामिल हैं. पुलवामा में आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेने वाले जैश-ए-मोहम्मद का आका मुखिया मसूद अजहर ही है। बता दें कि मसूद का जन्म पाकिस्तान के बाहावलपुर में 1968 को हुआ था। ग्यारह भाई-बहनों में अजहर 10वें नंबर का था। मसूद अजहर के पिता सरकारी स्कूल में हेडमास्टर थे. उसका परिवार डेयरी का करोबार भी करता था. मौलाना मसूद अजहर की पढ़ाई कराची के जामिया उलूम अल इस्लामिला में हुई थी। अजहर का संबंध हरकत-उल अंसार से भी रहा है. पहली बार अजहर को 1994 में गिरफ्तार किया गया था। उसको श्रीनगर में गिरफ्तार किया गया था। कंधार विमान कांड के बाद भारतीय जेलों में बंद मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद जैसे चरमपंथी नेताओं की रिहाई की मांग की गई और छोड़ दिया गया।

जेल से छूटने के बाद मौलाना मसूद अजहर ने फरवरी 2000 में जैश-मोहम्मद नाम के आतंकी संगठन की नींव रखी जिसका मकसद था भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देना. साल 2001 में भारतीय संसद में हमला हुआ जिसके पीछे जैश-ए-मोहम्मद का ही हाथ था। पाकिस्तान में उसे गिरफ्तार कर लिया गया और लेकिन उसके खिलाफ सबूत नहीं दिए जाने से लाहौर हाइकोर्ट ने उसे छोड़ने के आदेश दिए गए। आतंकी मसूद अजहर के नापाक इरादों से अमेरिका भी अछूता नहीं रहा। साल 2002 में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या की गई. इस घटना के बाद अमेरिका ने मसूद अजहर को मांगा। साल 2003 में परवेज मुशर्रफ पर भी आत्मघाती हमला हुआ. इसके बाद उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। दबाव बढ़ने के बाद उसे नजरंबद और हिरासत में ले लिया गया. लेकिन वह बच निकलने में कामयाब रहा।

बता दें कि चीन ने जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने को लेकर एक बड़ा बयान दिया था। चीन ने मंगलवार को कहा था कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के जटिल मुद्दे का उचित समाधान निकाला जाएगा। हालांकि चीन ने इसके लिए कोई समय सीमा नहीं बताई है। खास बात यह है कि कुछ दिन पहले यहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात के बाद चीन का यह रुख आया था। चीन ने पाकिस्तानी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख पर प्रतिबंध लगाने के एक नये प्रस्ताव पर मार्च में तकनीकी रोक लगा दी थी। जैश ने पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी। चीन ने अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित करने के चौथे प्रयास पर रोक लगा दी।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि मैं केवल इतना कह सकता हूं कि मुझे भरोसा है कि उचित तरीके से इसका समाधान निकलेगा. वह इन खबरों के बारे में पूछे गये सवालों का जवाब दे रहे थे कि चीन ने अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध करने के फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के एक ताजा प्रस्ताव पर तकनीकी रोक हटाने पर सहमति जता दी है। इस बार अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने मुद्दे को सीधे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जा कर बीजिंग पर दबाव बढ़ा दिया है।

अजहर के मुद्दे पर विभिन्न प्रश्नों का उत्तर देते हुए गेंग ने कहा कि 1267 समिति में इस मुद्दे को सूचीबद्ध करने के संबंध में हमने कई बार अपना रुख स्पष्ट किया है और मैं केवल दो बिंदुओं पर जोर देना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि पहला तो हम 1267 समिति में संवाद और परामर्श के माध्यम से सूचीबद्ध मुद्दे के समाधान का समर्थन करते हैं और मेरा मानना है कि इसमें अधिकतर सदस्यों की आम-सहमति है।

दूसरा यह कि समिति में संबंधित परामर्श चल रहा है और इसमें कुछ प्रगति हुई है। तीसरा, मेरा मानना है कि सभी पक्षों के संयुक्त प्रयासों के साथ इस मुद्दे को उचित तरीके से हल किया जा सकता है। चीन के तकनीकी पाबंदी एक मई को हटाने की खबरों पर गेंग ने कहा कि सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर चीन अब भी संबंधित दलों के साथ प्रयास कर रहा है और 1267 समिति के तहत सभी संबंधित पक्षों के साथ संपर्क में हैं। मेरा विश्वास है कि सभी पक्षों के संयुक्त प्रयासों से उचित समाधान निकाल लिया जाएगा।

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