
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिशेष को लेने से सरकार को केवल मामूली राहत मिलेगी, जबकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व में कमी के कारण वित्तीय घाटे को लक्ष्य के अंदर रखना मुश्किल होगा। कोटक इक्विटीज ने मंगलवार को यह बात कही। एक और विश्लेषण फर्म, आईडीएफसी एमसी का कहना है कि ‘राजकोषीय प्रोत्साहन’ के लिए इस राशि का उपयोग करने का कोई भी प्रलोभन वित्तीय घाटे को लक्ष्य के अंदर रखने की गुणवत्ता और प्रभावशीलता को लेकर चिंताएं पैदा करेगा।
कोटक इक्विटी की रिपोर्ट में कहा गया है, “जालान समिति की सिफारिशों के आधार पर, आरबीआई संशोधित इसीएफ (इकॉनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क) के तहत 52,600 करोड़ रुपये हस्तांतरित करेगी। यह वित्त वर्ष 2020 में 12.30 खरब रुपये के अधिशेष हस्तांतरण (वित्त वर्ष 2019 के लिए अंतरिम लाभांश के 28,000 करोड़ रुपये सहित) के अतिरिक्त है।”
रिपोर्ट में कहा गया है, “सरकार को वित्त वर्ष 2019-20 के बजट अनुमानों की तुलना में आरबीआई से 58,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलेंगे। इससे जीएसटी राजस्व में होनेवाली 1,500 अरब रुपये की कमी को भरने में कुछ मदद मिलेगी, लेकिन कमजोर कर राजस्व के कारण सरकार के खजाने पर दवाब बना रहेगा।”
कोटक की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में आरबीआई से 90,000 करोड़ रुपये का लाभांश मिले और एआरबीआई से 1.23 लाख करोड़ रुपये के हस्तांतरण का अनुमान लगाया गया था, जिसमें वित्त वर्ष 2018-19 का 28,000 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश भी शामिल था। सरकार को चालू वित्त वर्ष में 95,400 रुपये लाभांश के रूप में मिलेंगे, जबकि अनुमान लगाया गया है कि किसी अंतरिम लाभांश की घोषणा नहीं होगी।