कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए सबकुछ सही नहीं चल रहा है. भारत से लौटने के बाद उन्हें चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. जी20 के दौरान भारत में में हुई उपेक्षा को लेकर मीडिया और विपक्षी पार्टियों ने उन्हें हर फ़्रंट पर उन्हें घेरा है. वहीं, देश में राजनीतिक उथल पुथल के बीच उनपर कनाडा के विदेशी संबंध ख़राब करने का आरोप भी लगा है. घरेलु मुद्दों पर उनसे इस्तीफा मांगा जा रहा है.
पद छोड़ने वाले सवाल पर क्या कहा?
राजनीतिक सर्वे में भी वह विपक्षी कंज़र्वेटिव पार्टी से पिछड़े गए हैं. ट्रूडो को अपने मुख्य प्रतिद्व्ंद्वी पियरे पोइलिवरे से 14 अंक कम मिले हैं जिसे लेकर पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि क्या वो अपना पद छोड़ देंगे? जवाब देते हुए ट्रूडो ने कहा है कि अभी उन्हें बहुत काम करना हैं. हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया है कि उनके लाइफस्टाइल का खर्च बढ़ गया है. एक सर्वे के अनुसार देश में अगर अभी चुनाव हुए तोई ट्रूडो सत्ता से बेदखल हो सकते हैं. हालांकि, ट्रूडो की लिबरल पार्टी को वामपंथी न्यू डेमोक्रेट्स का समर्थन हासिल है, जिसकी वजह से वह अक्टूबर 2025 तक सत्ता में रह सकते हैं, लेकिन देश में जैसे हालात दोनों पार्टियों के बीच समझौते रद्द भी हो सकते हैं.
क्यों नहीं देना छाते हैं इस्तीफा?
पत्रकारों ने जब प्रधनमंत्री ट्रूडो से सवाल किया कि क्या वह इस्तीफा देकर अपना पद छोड़ने वाले हैं? इसपर उनका जवाब था, ‘अगले चुनाव में अभी 2 साल का समय है, फ़िलहाल मैं अपना काम जारी रख रहा हूं. अभी बहुत सारा काम करना है.’
देश में ट्रूडो पर विपक्ष का आरोप
- लापरवाही से सरकरी खर्च पर भार बढ़ा दिया है.
- इसके शासन काल में लोगों को घर खरीदना मुश्किल हो गया है.
- कनाडा के विदेशी संबध को ख़राब किया.
- देश भर में हंगामा और विरोध-प्रदर्शन हो रहे, सरकार शासन व्यवस्था नहीं संभल पा रही है.
- देश की तमाम अंदरूनी चुनौतियों के बीच उन्होंने भारत की यात्रा की.
- G-20 में पीएम मोदी से हाथ में असहज थे, राष्ट्राध्यक्षों के डिनर में भाग नहीं लिया.
- G-20 सम्मेलन में भारत से संबंध सुधार सकते थे, लेकिन उसमे भी असफल रहे.
- सम्मेलन के बाद भारत से स्वदेश लौटते समय उनका विमान ख़राब हो गया.