
जम्मू एवं कश्मीर में 107 साल पुरानी ‘दरबार स्थानांतरित’ (दरबार मूव) किए जाने की परंपरा राज्य को केंद्रीय शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद भी जारी रहेगी।
जम्मू एवं कश्मीर से लद्दाख को अलग किए जाने के बाद भी वहां गर्मियों और सर्दियों की अलग-अलग राजधानियों की व्यवस्था जारी रहेगी।
सभी प्रशासनिक कार्यालय, जिसमें राज्यपाल निवास और सचिवालय भी शामिल हैं, हर साल की तरह ही इस साल भी परंपरा के मुताबिक शीतकालीन राजधानी जम्मू जाएंगे।
देश के पहले गृह मंत्री और सभी क्षेत्रीय रियासतों के भारतीय संघ में एकीकरण के सूत्रधार सरदार वल्लभभाई पटेल का 31 अक्टूबर को जन्मदिन है। राज्य विभाजित होकर दो केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आधिकारिक तौर पर 31 अक्टूबर से ही अस्तित्व में आएंगे।
‘दरबार मूव’ की परंपरा राज्य के पूर्व डोगरा महाराजाओं द्वारा 107 साल पहले डाली गई थी।
हर साल श्रीनगर में कार्यालय अक्टूबर के अंत तक बंद हो जाते हैं और नवंबर के मध्य तक शीतकालीन राजधानी जम्मू में काम करना शुरू कर देती है।
शीर्ष सूत्र ने कहा, “केंद्र शासित प्रदेशों में प्रशासनिक नियंत्रण के विभाजन से संबंधित सभी प्रक्रियाओं को 31 अक्टूबर से पहले पूरी करना होगा।”
उन्होंने कहा, “घाटी में मौजूदा अनिश्चितता के कारण, सार्वजनिक परिवहन पिछले 26 दिनों से सड़कों से गायब हैं, जबकि श्रीनगर शहर के कुछ क्षेत्रों में प्रतिबंध के कारण निजी परिवहन की आवाजाही गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।”
सूत्रों के अनुसार, इस बात की पूरी संभावना है कि वर्तमान राज्यपाल सत्यपाल मलिक जम्मू एवं कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के उप राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल को जारी रखेंगे, जबकि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए एक नया प्रशासक नियुक्त किया जाएगा।