जब तक चीन (China) खतरा बना रहेगा, भारत (India) और अमेरिका (America) के संबंधों में घनिष्ठता आती जाएगी. एक प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकी विशेषज्ञ ने यह बात कही. ‘कार्नेगी एंडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ में ‘टाटा चेयर फॉर स्ट्रेटजिक अफेयर्स’ एशले टेलिस ने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में न केवल दोनों देशों के बीच, बल्कि दोनों समाजों के बीच संबंधों में गहराई देखी जाएगी.
उन्होंने कहा, “यह (भारत-अमेरिका) रिश्ता तब तक गहरा होना तय है जब तक चीन वहां मौजूद रहेगा, जिसे दोनों देशों को प्रबंधित करना होगा.” चीन के साथ तनाव बरकरार रहने के कारण दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के साथ संबंध मजबूत करने के लिए अमेरिका भारत पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण और जटिल द्विपक्षीय संबंध
अमेरिका और चीन के बीच दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण और जटिल द्विपक्षीय संबंधों में से एक है. 1949 के बाद से, देशों ने व्यापार, जलवायु परिवर्तन, दक्षिण चीन सागर, ताइवान और कोविड-19 महामारी सहित मुद्दों पर तनाव और सहयोग दोनों का अनुभव किया है. जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में कड़वाहट आई थी, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था.
सामरिक तौर पर काफी अहम है गलवान घाटी
गलवान घाटी ही वो जगह है, जहां भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी और इससे  भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तनाव बढ़ गया था. गलवान घाटी कई बार चर्चाओं में आई चुकी है. इसे गलवान घाटी इसलिए कहते हैं, क्योंकि ये गलवान नदी से लगा इलाका है. ये इलाका सामरिक तौर पर काफी अहम है. चीन को लगता है कि अगर गलवान नदी घाटी के पूरे हिस्से को नियंत्रित नहीं करेगा तो भारत अक्साई चिन पठार तक आसानी से पहुंच सकता है. जिससे चीन की पोजिशन कमजोर होगी. भारत भी यही समझते हुए इस इलाके को छोड़ना नहीं चाहता.