क्‍या थम गई कांग्रेस और सपा के बीच रार… या जारी है फ्रेंडली वॉर, जानें MP के अब UP में आजम खां को लेकर लड़ाई

इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस और सपा के बीच मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर हुई रार भले ही सार्वजनिक तौर पर थम गई हो, लेकिन अभी दोनों दलों के बीच फ्रेंडली फाइट जारी है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के लिए बने इंडिया गठबंधन के बड़े नेताओं को सपा-कांग्रेस के तल्खी से नुकसान को भांप कर भले इस पर अभी विराम लगा दिया हो, लेकिन दोनों दलों के बीच टकराव अभी भी जारी है.

मध्यप्रदेश के चुनाव को लेकर अखिलेश ने वहां की यूनिट को बुला रखा है और लगातार टिकट भी घोषित हो रहे हैं. जानकर मानते हैं कि सपा भले ही दबाव बनाने की लिए ऐसा कर रही हो लेकिन इससे कांग्रेस को ही नुकसान होगा. मान लीजिए जहां कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार उतारा है, वहां सपा ने भी घोषित किया है. ऐसे में यह होगा कि वह भाजपा के साथ कांग्रेस के वोट को भी काटेगा. इससे सामने वाली पार्टी का मार्जिन घटेगा और कमजोर होगी। तो यह तो नुकसान का ही सौदा है.

सियासी जानकार कहते हैं कि बयानबाजी भले ही बंद हो गई हो, लेकिन अंदरखाने पर एक दूसरे का विरोध झलक रहा है. सपा ने जहां मध्य प्रदेश में उम्मीदवार उतारे हैं, वहीं कांग्रेस ने आजम के प्रति सहानभूति दिखाकर अपने को मुस्लिम का हितैषी बताया है.

कांग्रेस और सपा के बीच हो रही तकरार के बीच कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अजय राय ने सपा नेता आजम खां के समर्थन में खड़े होने का दावा किया है. उन्होंने कहा कि आज़म खां के परिवार को भाजपा सरकार प्रताड़ित कर रही है. आजम खां की पत्नी तजीन फातमा के साथ इस तरह की कानूनी कार्रवाई पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि कांग्रेस भले अभी यूपी में कमजोर नजर आ रही हो, लेकिन लोकसभा आते आते संगठन काफी मजबूत होगा. पश्चिम से अभी कुछ कद्दवार मुस्लिम नेता और जुड़ने की उम्मीद है. इसके साथ पूर्वांचल के सामान्य वर्ग, जो कि भाजपा और सपा से असहज हैं, वह भी कांग्रेस की ओर रुख करेगा. इसके अलावा पिछड़े वर्ग के लोग जो भाजपा और सपा से अछूते हैं, वे कांग्रेस की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं. अगर विधानसभा चुनाव में हमारा ग्राफ बढ़ेगा, तो निश्चित तौर पर उसका फायदा लोकसभा में भी मिलेगा.

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