भारतीय मूल (Indian Origin) के लियो वराडकर (Leo Varadkar) ने आयरलैंड का प्रधानमंत्री पद (Ireland Prime Minister) छोड़ने की घोषणा की है. 45 साल के लियो वराडकर ने बुधवार को कहा कि वह आयरलैंड की गठबंधन सरकार में शामिल फाइन गेल पार्टी के मुखिया का पद छोड़ रहे हैं. अपना उत्तराधिकारी चुन लिए जाने ते बाद वह देश के नेता का भी पद छोड़ देंगे. उन्होंने कहा कि उनके (पद छोड़ने का) कारण ‘व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों’ हैं. पार्टी नेतृत्व की ओर से नए व्यक्ति का चुनाव किये जाने के बाद उसे प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
लियो वराडकर दो बार (जून 2017 और फरवरी 2020 के बीच, और फिर दिसंबर 2022 से) आयरलैंड के ‘ताओसीच’ या प्रधानमंत्री बने. पहली बार निर्वाचित होने पर वह प्रधानमंत्री पद संभालने वाले आयरलैंड के सबसे कम उम्र नेता थे. वह आयरलैंड के सार्वजनिक रूप से ज्ञात पहले समलैंगिक प्रधानमंत्री भी हैं. लियो वराडकर की मां आयरिश मूल की और पिता भारतीय हैं.
वराडकर का भारत से रिश्ता
लियो वराडकर का जन्म 18 जनवरी 1979 में डबलिन में हुआ था. उनकी मां मरियम आयरलैंड की थीं और नर्स थीं. उनके पिता अशोक भारतीय प्रवासी थे. वो पेशे से डॉक्टर थे और 1960 के दशक में इंग्लैंड की नेशनल हेल्थ सर्विस में काम करते थे. यहीं पर दोनों की मुलाकात हुई थी. बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अशोक महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के वराड गांव के रहने वाले हैं. ये परिवार 1960 के दशक में आयरलैंड में बस गया.
छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि
लियो वराडकर का जन्म आयरलैंड में ही हुआ. वो अपने पिता अशोक वराडकर के सबसे छोटे बेटे हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा सेंट फ्रांसिस नेशनल स्कूल में हुई. आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने एक निजी सेकंडरी स्कूल किंग्स हॉस्पिटल में दाखिला लिया. 2003 में डबलिन के ट्रिनिटी कॉलेज से उन्होंने मेडिकल की डिग्री ली. छात्र जीवन से ही उनकी दिलचस्पी राजनीति में थी. 2007 में वो डबलिन वेस्ट से फाइन गेल पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते और काउंसलर बने. उस समय उनकी उम्र महज 24 साल थी.
2019 में आए थे भारत
आयरलैंड का प्रधानमंत्री बनने के बाद लियो वराडकर ने 2019 में नए साल का उत्सव गोवा में मनाया. तब वराडकर पहली बार अपने परिवार के सदस्यों के साथ सिंधदुर्ग जिले में स्थित अपने पैतृक गांव वराड गए थे. पैतृक गांव की यह उनकी पहली यात्रा थी. वराडकर के लिए यह विशेष क्षण थे, क्योंकि उनकी तीन पीढ़िया वराड में जमा हुईं.