मणिपुर पर गतिरोध के बीच, विपक्षी दलों ने आज संसद में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. हालांकि, इस प्रस्ताव से सरकार को कोई खतरा होने की संभावना नहीं है, जिसे लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त है. इसके बावजूद, कांग्रेस ने अपने सांसदों को प्रस्ताव में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है और कहा है कि प्रस्ताव का समर्थन करने वाले कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर एकत्र किए जाएंगे. मोदी सरकार के खिलाफ 2018 के बाद यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव होगा.
इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) का निर्णय संसद में कई दिनों की कटुता और व्यवधान के बाद आया है, साथ ही भाजपा द्वारा विपक्ष की इस मांग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया गया है कि पीएम मोदी मणिपुर पर बयान दें. आंकड़ों पर नजर डालें तो नरेंद्र मोदी सरकार के पास लोकसभा में कम से कम 332 सांसदों का समर्थन है, जो जरूरी 272 की संख्या से कहीं ज्यादा है. इससे पहले 20 जुलाई 2018 को, नरेंद्र मोदी सरकार ने टीडीपी सांसद श्रीनिवास केसिनेनी द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव को हरा दिया था, जिसे कई विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त था.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘पूर्वोत्तर में स्थिति नाजुक है और मणिपुर हिंसा का असर दूसरे राज्यों पर भी पड़ता दिख रहा है. मणिपुर में 83 दिनों की लगातार हिंसा के लिए जरूरी है कि प्रधानमंत्री संसद में व्यापक बयान दें. अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार अपना अहंकार त्यागे और मणिपुर पर देश को विश्वास में लें.’ जहां तक अविश्वास प्रस्ताव और संख्या बल की बात है, तो वर्तमान लोकसभा में विपक्ष के पास नंबर्स नहीं हैं. विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों के पास लोकसभा में लगभग 141 सीटें हैं, जिनकी वर्तमान संख्या 537 है.