
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा कि कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने की दिशा में विकसित देश कोई कदम नहीं उठा रहे हैं, जोकि उनकी जिम्मेदारी है। प्रकाश जावड़ेकर यहां टेरी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय विश्व सतत सतत विकास शिखर सम्मेलन (डब्ल्यूएसडीएस) में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन में कटौती करना पहले विकसित देशों की जिम्मेदारी है, लेकिन वे इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।
जावड़ेकर ने कहा, “1990 के बाद दुनिया में सालाना कार्बन उत्सर्जन में महज आधी फीसदी की कमी आई है, लिहाजा इस दिशा में बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।”
द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टीटयूट (टेरी) द्वारा आयाजित डब्ल्यूएसडीएस का यह 20वां संस्करण है। इस शिखर सम्मेलन का विषय ‘टुवार्ड 2030 मेकिंग द डिकेड काउंट’ है।
इस मौके पर सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में भारत की प्रगति के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर टेरी के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर ने कहा, “सतत विकास के लक्ष्य को अगर भारत हासिल नहीं कर पाएगा तो दुनिया भी इसे हासिल नहीं कर पाएगी।”
उन्होंने कहा, “सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने से देश और दुनिया दोनों को लाभ होगा। मेरा मानना है कि सतत विकास के अलावा हमारे पास अब आर्थिक रूप से कोई चारा भी नहीं है।”
उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कचरों का दोबारा इस्तेमाल को बढ़ावा देना होगा और इस दिशा में काम होने लगा है, कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में निर्माण क्षेत्र के कचरे का रिसाइक्लिंग व अपसाइक्लिंग होने लगी है और उन कचरों से टाइल्स बनाए जा रहे हैं जिससे उसका वैल्यू बढ़ जाता है।
डॉ. माथुर ने कहा, “चाहे मैटेरियल्स का उपयोग हो या कचरे का दोबारा इस्तेमाल हो, इन्हीं कार्यो में अब नए इंटरप्राइजेज बनेंगे और इन्हीं में अब रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जिससे आर्थिक विकास होगा।”