2024 लोक सभा चुनाव को लेकर अति पिछड़ा वोटबैंक इन दिनों केंद्र में आ गया है. सबसे बड़े वोटबैंक के रूप में अति पिछड़ा समुदाय को देखते हुए हर राजनीतिक दल इसका अपना चेहरा बताने का प्रयास कर रहा है. अति पिछड़ा वोटबैंक को लेकर बीजेपी राष्ट्रीय स्तर पर रणनीति बनाने में लगी है, वहीं जदयू और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं. दरअसल, बिहार में जातीय गणना के बाद अतिपिछड़ा को लेकर नीतीश कुमार की ब्रांडिंग सबसे बड़े चेहरे के रूप में होने लगी है. जदयू लगातार देश भर में जातीय गणना की मांग करते हुए बिहार की सफलता को राष्ट्रीय स्तर पर भुनाना चाहता है. दूसरी ओर कांग्रेस भी इस सियासी मैदान में आ गई है और राहुल गांधी को अति पिछड़ा का नेता बता रही है.
बता दें कि जदयू नेता और जल संसाधन मंत्री संजय झा ने नीतीश कुमार को अतिपिछड़ा का सबसे बड़ा और भरोसेमंद चेहरा बताया है और कहा है कि अतिपिछड़ा के लिए नीतीश कुमार ने जो काम किए हैं, वो किसी ने नहीं किया. संजय झा कहा कि अति पिछड़ा समाज को अलग पहचान देने वाले नीतीश कुमार हैं, इसलिए उनसे बड़ा और विश्वासी चेहरा कोई नहीं है. हालांकि, जदयू नेता संजय झा द्वारा नीतीश कुमार को अति पिछड़ा के सबसे भरोसमंद चेहरा बताए जाने के बाद कांग्रेस ने सवाल खड़ा करते हुए नीतीश कुमार को क्षेत्रीय चेहरा बताया है.
कांग्रेस ने नीतीश के चेहरे पर खड़ा किया सवाल
बिहार में कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजेश राठौड़ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे की बात करते हुए कहा कि सीएम नीतीश क्षेत्रीय स्तर पर अति पिछड़ा वर्ग का चेहरा हैं और उनकी बात भी उठाते रहे हैं, पर राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी ने पहली बार अति पिछड़ों को लेकर मुहिम की शुरुआत की है और वे रीयल में अति पिछड़ों के नेता हैं.