
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को मंजूरी दे दी गई। एनपीआर के संबंध में लोगों को अपनी पहचान बताने के लिए किसी प्रकार के दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं होगी।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लिया गया कि अप्रैल 2020 से शुरू होने वाली एनपीआर की प्रक्रिया में लोगों से पहचान बताने के लिए किसी प्रकार के दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “हमें अपने लोगों पर विश्वास है और इसलिए किसी भी प्रमाण, दस्तावेज और बायोमेट्रिक की कोई आवश्यकता नहीं है। जो आप कहेंगे वह सही होगा। सभी राज्यों ने इसे स्वीकार कर अधिसूचित कर लिया है। इस संबंध में राज्यों ने अभियान भी शुरू कर दिए हैं।” उन्होंने कहा, “एनपीआर स्व-घोषणा के आधार पर होगा और केवल हेड काउंट (व्यक्ति की गिनती) पर किया जाएगा।”
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) का कार्यालय इसका संचालन करेगा और 2021 की जनगणना के पहले इसे पूरा कर लिया जाएगा। प्रस्ताव के अनुसार, एनपीआर की यह प्रक्रिया सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक पूरी कर ली जाएगी। एनपीआर देश के नागरिकों का एक रजिस्टर है।
यह नागरिकता अधिनियम 1955 और 2003 के नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियमों के प्रावधानों के तहत स्थानीय (गांव/उप-कस्बे), उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है।