एजीआर फैसले पर कंपनियों की पुनर्विचार याचिकाएं खारिज


सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम शुल्क के बकाया भुगतान में राहत नहीं दी। कंपनियों पर सरकार के 1.47 लाख रुपए बकाया होने का अनुमान है। सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में कहा था कि एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) की गणना का टेलीकॉम विभाग का तरीका सही है। टेलीकॉम कंपनियों को इसी आधार पर सरकार को लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम शुल्क चुकाना होगा। कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट से इस आदेश पर दोबारा विचार करने की अपील की थी। इस याचिका को गुरुवार को कोर्ट ने खारिज कर दिया। एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया ने इस फैसले पर कहा है कि हम क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।

सरकार से एजीआर मामले की समीक्षा करने की अपील की

इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से टेलीकॉम सेक्टर संकट में आने वाला है। सरकार को एजीआर मामले की समीक्षा करनी चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो छोटे इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर टिक नहीं पाएंगे।

सरकार ने 23 जनवरी तक बकाया चुकाने को कहा

दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नवंबर में संसद में बताया था कि भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया समेत अन्य टेलीकॉम कंपनियों पर लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम शुल्क के 1.47 लाख करोड़ रुपए बकाया हैं। सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर के आदेश के बाद सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों से कहा था कि बकाया भुगतान 23 जनवरी तक कर दें। न्यूज एजेंसी के मुताबिक भारती एयरटेल चाहती थी कि कम से ब्याज और पेनल्टी में राहत मिल जाए।

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