उनके जीते जी कुछ नहीं कर सका.. डेब्यू और परफॉर्मेंस पिता को समर्पित, बिहारी छोरा आया और छा गया

तेज गेंदबाज आकाश दीप के लिए शुक्रवार का दिन यादगार रहा. 27 साल के इस क्रिकेटर ने रांची में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट के जरिए इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया. इस मौके पर स्टेडियम में आकाश दीप की मां और उनकी दो बहनें मौजूद थीं. पांच साल पहले रणजी ट्रॉफी में डेब्यू के बाद आकाश दीप को अब इंडियन कैप मिली है. बिहार से आने वाले अकाश दीप के लिए क्रिकेट में यहां तक पहुंचना आसान नहीं रहा है. वह डेब्यू टेस्ट मैच में आए और छा गए. इंग्लैंड के शुरुआती 3 विकेट झटककर आकाश दीप ने इंटरनेशनल क्रिकेट में आगाज किया.

दाएं हाथ के तेज गेंदबाज आकाश दीप (Akash Deep) को टीम इंडिया में एंट्री के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी है. उन पर उस समय दुखों का पहाड़ टूट पड़ा जब इस क्रिकेटर ने 6 महीने के अंदर अपने पिता और भाई को खो दिया. इसके बाद वह 3 साल तक क्रिकेट से दूर रहे. लेकिन आज उन्होंने रांची में अपने प्रदर्शन से खूब तारीफें बटोरी. इस टैलेंट को टीम इंडिया ने पहचाना और उसे मौका दिया. आकाश दीप ने अपने दूसरे ओवर में भी इंग्लैंड के ओपनर जैक क्राउली को बोल्ड कर दिया लेकिन वो गेंद नो बॉल निकली. हालांकि इसके बाद उन्होंने जल्दी गलती का सुधारा और क्राउली सहित बेन डकेट और ओली पोप के विकेट लेकर मेहमान टीम को मुश्किल में डाल दिया. आकाश दीप सासाराम बिहार के हैं.

‘पिता के जीते जी कुछ नहीं कर सका’
आकाश दीप ने अपने शानदार प्रदर्शन पर कहा, ‘ मैं अपना डेब्यू पिता को समर्पित करता हूं. जब वो जिंदा थे तब मैं कुछ नहीं कर सका. मेरा सपना था कि मैं उनके सामने कुछ करूं. इसलिए मैं अपने परफॉर्मेंस और डेब्यू को उन्हें डेडिकेट करता हूं. वह मेरे लिए काफी इमोशनल था. मैंने अपने भाई और पिता को एक साल के भीतर खो दिए. मेरी जर्नी मुश्किलों भरी रही है. और मेरी फैमिली ने बड़ा रोल अदा किया है.’

‘मेरे पास खोने को कुछ भी नहीं था’
आकाश दीप ने पहली पारी में 17 ओवर में 70 रन देकर 3 विकेट चटकाए हैं. वह फर्स्ट क्लास क्रिकेट में विकेटों का शतक पूरा कर चुके हैं. उन्होंने डेब्यू से पहले कहा, ‘ मेरे पास खोने को कुछ नहीं था, पाने को बहुत कुछ था.’ अकाश दीप के पिता बेटे को सरकारी नौकरी में काम करते हुए देखना चाहते थे लेकिन बेटे को क्रिकेट से बहुत प्यार था. वह सरकारी नौकरी के लिए पेपर देने जाते थे लेकिन एग्जाम में कुछ नहीं लिखते थे क्योंकि वह क्रिकेट में अपना नाम बनाना चाहते थे और आज अकाश दीप का सपना पूरा हो गया.

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