इजरायल पर हमास ने शनिवार को जबरदस्त हमला किया. फिर इजरायल ने गाजा में हमास के ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी. हमास और इजरायल की सेना के बीच पांचवें दिन यानी बुधवार 11 अक्टूबर 2023 को भी संघर्ष जारी है. इजरायल की सेना ताबड़तोड़ हमले कर गाजा पट्टी में हमास के ज्यादातर ठिकानों को तबाह कर चुकी है. गाजा पट्टी में इजरायल की वायु सेना ने लगातार जवाबी हमले किए हैं. इन हमलों में 900 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, 4600 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं. हमास के शनिवार को किए गए हमले के बाद इजरायल ने गाजा की पूरी तरह से घेराबंदी कर दी है. इससे क्षेत्र में भोजन, पानी, ईंधन और जरूरी समानों की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है. जहां कई देश इजरायल के साथ नजर आ रहे हैं. वहीं, ईरान हमास के समर्थन में डटा हुआ है.
ईरान ने इजरायल पर फिलिस्तीनी आतंकी ताकतों के हमले का स्वागत किया है. यही नहीं, हमास और हिजबुल्लाह के समर्थन से ईरान इजरायल पर दबाव बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है. अगर ईरान ऐसे ही हमास का समर्थन करता रहा तो इजरायल से उसका छद्म युद्ध बढ़ने का खतरा है. ईरान सबकुछ जानते हुए भी ऐसा क्यों कर रहा है? ईरान हमास की किस-किस तरह से मदद कर रहा है? इसका दोनों देशों और बाकी देशों के साथ इजरायल के संबंधों पर क्या असर होगा? जानते हैं आपके मन में उठ रहे ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब…
ईरान और हमास के बीच कैसे हैं संबंध, किस सीमा तक कर रहा है मदद?
वित्तीय सहायता और मिलिट्री हार्डवेयर के मामले में ईरान कई साल से हमास का उदार समर्थक रहा है. ईरान मिसाइलों की उपलब्धता के मामले में हमास का पूरा समर्थन करता है. ईरानी शासन ने अपनी सार्वजनिक घोषणाओं में शनिवार के हमले का मुखर समर्थन किया है. यही नहीं, ईरान के लोगों ने हमास के इजरायल पर हमले का सड़क पर उतरकर जश्न मनाया.
क्या हमला ईरान को इजरायल-सऊदी शांति समझौता नाकाम करने में मदद करेगा?
ईरान ने पिछले कुछ हफ्तों के दौरान सऊदी-इजरायल शांति समझौते को लेकर तीखे तेवर दिखाए हैं. अगर समझौता सफल हो जाता है तो क्षेत्र में ईरान के खिलाफ लामबंदी का खतरा बढ़ जाएगा. ईरान ऐसी योजनाओं में अड़चनें डालने के लिए कुछ भी कर सकता है. पिछले हफ्ते ईरानी सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने कहा था कि जो देश इजरायल के साथ सामान्यीकरण का जुआ खेलेंगे, वे हार जाएंगे. खामेनेई ने फिलिस्तीनियों के बारे में कहा कि आज फिलिस्तीनी आंदोलन पहले से ज्यादा उत्साहित है. फिलिस्तीनी युवा पहले से कहीं अधिक तैयार हैं.