केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में और संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके तहत अब सफल बोलीदाता के खिलाफ संबंधित कंपनी के पिछले प्रवर्तक के किसी भी अपराध को लेकर आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकेगी। सरकार ने इसी साल 12 दिसंबर को आईबीसी में संशोधन के लिए लोकसभा में एक विधेयक पेश किया था।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को कहा कि मंत्रिमंडल ने आईबीसी में संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। लोकसभा में पेश विधेयक का उद्देश्य अड़चनों को दूर करना और कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया को सुसंगत बनाना है। इसमें सफल बोलीदाताओं को संबंधित कंपनियों के पूर्व प्रवर्तकों के किसी अपराध में आपराधिक प्रक्रियाओं से सुरक्षा मिलेगी।
लोकसभा अध्यक्ष ने तीन महीने में मांगी रिपोर्ट
उधर, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने आईबीसी (दूसरा संशोधन) विधेयक को वित्त मामलों की स्थायी समिति के हवाले कर दिया। समिति को तीन महीने के अंदर इस विधेयक की समीक्षा कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इस समिति के सदस्य हैं, जबकि पूर्व वित्त राज्यमंत्री एवं भाजपा सांसद जयंत सिन्हा समिति के अध्यक्ष हैं।
गौरतलब है कि आईबीसी के तहत नीलाम हो रही संपत्तियों के लिए बोली लगाने वाली कई कंपनियों ने पूर्व प्रवर्तकों पर चल रहे मामलों में खुद के फंसने को लेकर चिंताएं जताई थीं। इस कारण कई कंपनियां नीलामी प्रक्रिया से हाथ खींचने का भी मन बनाने लगती हैं और कॉरपोरेट समाधान प्रक्रिया की सफलता बाधित होती है।
नहीं दोहराएंगे भूषण स्टील जैसे मामले
आईबीसी से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि समाधान प्रक्रिया से जुड़े अधिकांश मामलों की जांच जारी है। हम एक ऐसी व्यवस्था पर काम कर रहे हैं, जिसके तहत पूर्व प्रबंधन के कारण कानूनी प्रक्रिया में फंसने वाली कंपनी के खरीदार को मुकदमे से छूट दी जा सकती है, ताकि भूषण पावर एंड स्टील (बीपीएसएल) जैसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो।
गौरतलब है कि आईबीसी के तहत नीलाम हुई बीपीएसएल का अधिग्रहण जेएसडब्ल्यू स्टील करने वाली थी। इससे पहले ही पिछले महीने प्रवर्तन निदेशालय ने ओडिशा स्थित कंपनी के 4,000 करोड़ के प्लांट और मशीनरी को जब्त कर लिया और समाधान प्रक्रिया में देरी हुई। हालांकि, एनसीएलएटी के दखल के बाद कॉरपोरेट मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि आईबीसी प्रक्रिया जारी रहने के दौरान कोई भी सरकारी एजेंसी संपत्तियां जब्त नहीं कर सकती।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से और मजबूत हुआ दिवालिया कानून : साहू
ऋणशोधन एवं दिवालिया संहिता बोर्ड (आईबीबीआई) के प्रमुख एमएस साहू ने रविवार को कहा कि एस्सार स्टील मामले में शीर्ष अदालत के फैसले से यह कानून और मजबूत हुआ है। इससे उन पक्षों पर लगाम लगेगी जो समाधान प्रक्रिया को बाधित करने का काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने न सिर्फ एस्सार स्टील से 42 हजार करोड़ रुपये की वसूली का रास्ता साफ कर दिया, बल्कि समाधान पेशेवर, समाधान आवेदनकर्ता, कर्जदाताओं की समिति, न्यायाधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण की भूमिका को भी स्पष्ट कर दिया है।
सबसे महत्वपूर्ण कि यह फैसला समाधान प्रक्रिया के तहत लाभ वितरण को भी स्पष्ट करता है। साथ ही 330 दिन की तय अवधि के भीतर मामला निपटान पर जोर देता है।