“नेत्रहीन मुर्तुजा अली ने पुलवामा शहीदों के लिए की 110 करोड़ रु. दान देने की पेशकश”
मुंबई: आंखों की रोशनी नहीं तो क्या, दिल की नजर तो है । इसी जजबे के साथ मुर्तुजा अली हामिद ने देश पर कुर्बान पुलवामा के शहीद जवानों के लिए मदद की पेशकश की है।
मुंबई के निवासी मुर्तजा अली हामिद शहीद हुए 40 जवानों के परिवार को अपनी कमाई के 110 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दान देना चाहते हैं।
44 वर्षीय निवासी मुर्तज़ा अली हामिद का परिवार ऑटोमोबाइल का व्यवसाय करता है। मुर्तजा ने दावा किया की उसने उन्होंने ‘फ्यूल बर्न रेडिएशन टेक्नोलॉजी’ नामक एक तकनीक का आविष्कार किया है जो किसी भी वाहन या वस्तु को जीपीएस, कैमरा या किसी अन्य उपकरण के बिना ट्रेस और खोजने में मदद करता है।
मुर्तज़ा का दावा है- आज मेरे पास वित्तीय स्थिति बेहतर है,लेकिन तीन साल पहले मैंने सरकार को इस तकनीकी सहायता का ऑफर किया था मगर ऐसा नहीं हुआ, अगर इस तकनीक को सरकार मान्यता दे देती तो पुलवामा जैसी घटना को रोका जा सकता था।
इस तकनीक का विस्तार करते हुए, उन्होंने कहा, ईंधन के साथ किसी भी प्रकार का व्यवधान,जैसे विस्फोट में इस्तेमाल होने वाले, का पता लगाया जा सकता है, क्योंकि यह फ्यूज से जुड़ा होता है। मुर्तजा का कहना है कि उन्हें अभी भी सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार है।
सुरक्षा एजेंसियों के पास यह तकनीक नहीं है। मैंने उरी हमले से पहले ही इसके लिए प्रस्तुति दी थी। यह पूछे जाने पर कि क्या प्रौद्योगिकी किसी भी एजेंसी द्वारा प्रमाणित है,यह पूछे जाने पर उन्होंने कहां कि पेटेंट के लिए आवेदन किया गया है,लेकिन वह सुरक्षा चिंताओं पर कोई विवरण नहीं दे सकता है। सरकार ने मुझे सीडीईसी के लिए भेजा था। यह कहा गया था कि विवरण पर काम किया जाएगा लेकिन फ़ाइल अटक गई।
मुर्तजा ने अपनी स्नातक की पढ़ाई कोटा से कॉमर्स स्ट्रीम में की वर्तमान में मुंबई में एक शोध वैज्ञानिक के रूप में काम कर रहे हैं। 2010 में जयपुर के एक पेट्रोल पंप पर आग लगने की घटना ने उन्हें ईंधन जलाने वाले विकिरण पर शोध करने के लिए प्रेरित किया। गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में फिदायीन हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे।
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