अयोध्या केस: मुस्लिम पक्ष का आरोप- रामलला का प्रकट होना साजिश थी…


सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अयोध्या (Ayodhya) के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद (Ram Janmabhoomi- Babri Masjid) विवाद मामले में मंगलवार को भी सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई का यह 18वां दिन था. आज पूरे दिन मुस्लिम पक्ष (Muslim Party) की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने दलीलें रखी. धवन ने कहा कि अयोध्या में 1949 में विवादित जगह में मूर्तियों का प्रकट होना कोई दैवीय चमत्कार नहीं था, बल्कि कब्जा जमाने के लिए एक सोची समझी साजिश थी. धवन ने अपनी दलीलों के समर्थन में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मूर्तियां रखे जाने को लेकर पेश की गई गवाहियों का हवाला दिया.

इसके अलावा धवन ने वहां मस्जिद की मौजूदगी को साबित करने के लिए 1950 की विवादित ढांचे की तस्वीर दिखाई. जिसके मुताबिक, विवादित ढांचे के अंदर तीन जगह अरबी में अल्लाह लिखा हुआ था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- ‘वहां हिंदू देवी-देवताओं और धार्मिक प्रतीकों से जुड़ी तस्वीरें भी मिली हैं, उसका क्या?’, इस पर धवन ने जवाब दिया कि ये उनका केस नहीं है. वो वहां मस्जिद की मौजूदगी को साबित करने के लिए दलीलें रख रहे है. लोगों की गवाहियों से साफ है कि मस्जिद के अंदरूनी हिस्से में नमाज पढ़ी जाती रही.

धवन ने कहा है, ‘हिंदू पक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि मुसलमान वहां नमाज नहीं पढ़ते, जबकि हकीकत ये है कि 1934 से निर्मोही अखाड़े के बाद से वहां जाने ही नहीं दिया गया.’ धवन ने कहा कि 1990 में रथ यात्रा के बाद बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ और अब ये सिलसिला रुकना चाहिए, अब और रथ यात्रा नहीं होनी चाहिए. धवन ने फैज़ाबाद के डीएम के के नायर का हवाला दिया, जिसने वहां पर मूर्तियों को हटाने से ही इनकार कर दिया.

धवन के मुताबिक, 1947 में जहां तत्कालीन पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली में तोड़ी गई 30 मस्जिदों को बनवाने का आदेश दिया, वहीं दूसरी ओर फैज़ाबाद के डीएम के के नायर थे, जो कह रहे थे कि फैज़ाबाद में मंदिर था, जिसे तोड़ा गया. उन्होंने कोर्ट के आदेश के बावजूद वहां से मूर्ति नहीं हटाई. बाद में इन्हीं के के नायर की फोटो इमारत में लगाई गई, जिससे साफ जाहिर होता है कि वो हिंदुओं के पक्ष में भेदभाव कर रहे थे. धवन ने इस बात को साबित करने के लिए 1990 के फोटोग्राफ दिखाए, जिसके मुताबिक विवादित ढांचे के गुम्बद पर के के नायर, सिटी मजिस्ट्रेट गुरूदत्त सिंह के स्केच लगे थे.

इससे पहले अयोध्या मामले पर सुनवाई शुरू होने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने वकील धवन की तरफ से दाखिल अवमानना याचिका नोटिस जारी किया. धवन की शिकायत है कि चेन्नई के रहने वाले 88 साल के प्रोफेसर षणमुगम ने उन्हें भगवान के विरोध में पेश होने के लिए श्राप दिया. ऐसा करके उन्होंने न्याय के काम मे बाधा डाली है. कोर्ट इस अवमानना याचिका पर 2 हफ्ते बाद सुनवाई करेगी. अयोध्या भूमि विवाद को लेकर मुस्लिम पक्षकार की ओर से राजीव धवन की दलील कल भी जारी रहेगी.

अयो

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