अम‍ित साध, गुलशन देवैया की परफॉर्मेंस बढ़‍िया, लेकिन स्‍पीड में हैं गड़बड़, जानें कैसी है सीरीज

अम‍ित साध, गुलशन देवैया और दृष्‍ट‍ि धामी स्‍टारर वेब सीरीज ‘दुरंगा’ का दूसरा सीजन दशहरे के मौके पर र‍िलीज हो गया है. इस सीरीज के पहले सीजन को भी खूब पसंद क‍िया गया था और अब मेकर्स इसका दूसरा सीजन दर्शकों के सामने लाए हैं. पहले सीजन में कहानी ज‍िस ट्व‍िस्‍ट पर खत्‍म होती है, दूसरे सीजन की कहानी उसी ह‍िस्‍से के साथ शुरू होती है. आपको बता दें कि ये सीरीज कोरियन ड्रामा ‘फ्लावर ऑफ ईव‍िल’ का आध‍िकारिक इंड‍ियन एडेप्‍टेशन है. अपने नाम की तरह ही इस सीरीज में आपको गुलशन और अम‍ित के क‍िरदारों में कई तरह के रंग या कहें शेड्स नजर आएंगे. इस कहानी की सबसे बड़ी खूबसूरती है इसकी परफॉर्मेंस में. गुलशन पहले सीजन में अपने शानदार परफॉर्मेंस से द‍िल जीत चुके हैं तो वहीं इस सीजन में अम‍ित साध ने बढ़‍िया परफॉर्मेंस दी है. जानिए आखिर परफॉर्मेंस के अलावा क्‍या है इस सीरीज में जोरदार और क्‍या हैं इसके कमजोर पॉइंट्स.

‘दुरंगा 2’ की शुरुआत न‍िर्देशक रोहन स‍िप्‍पी वहीं से करते हैं, जहां से पहले सीजन का अंत हुआ था. पहले सीजन में अभ‍िषेक बाने (गुलशन देवैया), इंस्‍पेक्‍टर इरा पटेल (दृष्‍ट‍ि धामी) का पति सम‍ित पटेल बनकर दोहरी ज‍िंदगी जी रहा था. लेकिन दूसरे सीजन की शुरुआत होती है असली सम‍ित पटेल (अम‍ित साध) के कोमा से जागने से. सम‍ित के कोमा से जागते ही मुंबई में एक और हत्‍या होती है और वो भी ब‍िलकुल पुराने वाले अंदाज में, जैसे सारंगवाडी में हत्‍याएं हुई थीं. ये देखते ही पुल‍िस चौकन्नी हो जाती है. वहीं सम‍ित पटेल ये भी जान चुका है कि अभ‍िषेक, सम‍ित बनकर अब उसकी ज‍िंदगी जी रहा है. अब वो इस ज‍िंदगी को पाने की उम्‍मीद करने लगता है.

इस बार इस सीरीज के 8 एपिसोड हैं. प‍िछले सीजन को द‍िवंगत न‍िर्देशक प्रदीप सरकार और एजाज खान ने क‍िया था. वहीं इस बार न‍िर्देशन की कमान संभाली है रोहन स‍िप्‍पी ने, जो इससे पहले ‘क्र‍िम‍िनल जस्‍ट‍िस’ जैसी वेब सीरीज बना चुके हैं. इस सीरीज की अच्‍छी बात ये है कि इसे भारतीय परिवेश के अनुसार ब‍िलकुल सटीक बैठाया गया है. कहानी को ज‍िस तरीके से ल‍िखा गया है, ज‍िस तरह व‍िदेशी कहानी को देसी अंदाज में बांधा गया है, वो शानदार है. कहानी में जब भी आपको लगने लगता है कि चीजें सुलझ रही हैं, वहीं आपको एक ट्व‍िस्‍ट नजर आ जाता है, जो कहानी को रोमांचक बना देता है.

हालांकि कहानी में कुछ चीजें अखरती हैं, जैसे क्राइम ब्रांच की पुल‍िस सालों से एक ही केस के पीछे पड़ी है. बाला बाने और सारंगवाडी केस का इतना ज्‍यादा ज‍िक्र है कि जैसे पूरी मुंबई क्राइम ब्रांच के पास इसके अलावा कोई और केस है ही नहीं. दूसरी तरफ कहानी इस बार भी थोड़ी स्‍लो ही है. पहले एपिसोड में तो ये कही ज्‍यादा स्‍लो लगती है क्‍योंकि पहले एपिसोड में जो द‍िखाया गया है, वो ट्रेलर में आप पहले ही देख समझ चुके हैं. यानी पूरा एपिसोड देखने के बाद भी आपको लगता है कि कुछ नया नहीं देखा.

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