एक ऐसे समय में जब अयोध्या विवाद को लेकर देश के शीर्ष न्यायालय में सुनवाई चल रही है, मोदी सरकार ने ‘राम’, ‘रामायण’ और ‘रामराज्य’ को बढ़ावा दिया है। रामायण महोत्सव के पांचवें संस्करण में भाजपा अध्यक्ष व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदू महाकाव्य रामायण को सभी वैश्विक समस्याओं का समाधान बताया। शाह ने कहा, “रामायण आपकी व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय और वैश्विक समस्याओं का समाधान है।”
इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में विदेशी प्रतिनिधिमंडल अपनी रामायण की व्याख्याओं की प्रस्तुति देंगे। थाईलैंड के बुंडितपट्टनैलपा संस्थान के कॉलेज ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स, श्रीलंका का एक डांस गिल्ड, कम्बोडिया का आर्टिस्ट ट्रप, मॉरीशस का नोट्रे डेम काली मां मंदिर एसोसिएशन समेत कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि इस रामायण की प्रस्तुति में शामिल हो रहे हैं।
कोई आश्चर्य नहीं कि शाह ने इसे विदेशों में ‘भारत का सांस्कृतिक राजदूत’ कहा। तथ्य यह है कि इंडोनेशिया और बांग्लादेश जैसे इस्लामिक देशों ने भी रामायण के अपने संस्करण को प्रस्तुत करने के लिए अपनी टीमों को भेजा है, जो शाह के दावे की पुष्टि करता है।
लेकिन सांस्कृतिक प्रदर्शन और उच्च प्रोफाइल उपस्थित लोगों से परे, इस आयोजन ने राम, रामायण और रामराज्य को बड़े सूक्ष्म तरीके से बढ़ावा देने का काम किया है। यह उस समय में हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट तय कर रहा है कि अयोध्या की विवादित भूमि का मालिक कौन है, जिसे लेकर हिंदुओं का दावा है कि यह भगवान राम का जन्मस्थान है।
इससे पहले आईएएनएस के बात करते हुए आईसीसीआर के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने दावा किया था कि अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल अयोध्या का भी दौरा करेंगे और विवादित स्थल पर प्रार्थना करेंगे। कहने की जरूरत नहीं है कि यह हिंदुओं के साथ-साथ भाजपा द्वारा किए जा रहे उन दावों की पुष्टि करेगा कि यह जमीन ‘रामलला’ की है।