अमेरिका ने ताइवान की मदद कर एक बार फिर चीन को आंख दिखाने की कोशिश की है. गुरुवार को संयुक्त राज्य अमेरिका ने ऐलान किया कि वह ताइवान को 332.2 मिलियन डॉलर का गोला-बारूद बेचेगा. अमेरिका ने यह ऐलान कर ताइवान की सैन्य शक्ति बढ़ाने में बड़ी मदद की है. अमेरिकी रक्षा विभाग की रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने 332.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत के लिए विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) को मंजूरी दे दी. हथियारों के पैकेज में 30 मिमी गोला-बारूद, व्हील्ड वेहिकल के लिए स्पेयर पार्ट्स और अन्य सामान शामिल हैं. 332 मिलियन डॉलर की 30 मिमी गोला-बारूद और संबंधित उपकरण के लिए दिये जाएंगे.
बता दें कि इन दिनों अमेरिका और चीन के बीच तनातनी बढ़ी हुई है. इसलिए अमेरिका की तरफ से ताइवान को दी जाने वाली मदद बड़ा कदम माना जा रहा है. कांग्रेस को एक अधिसूचना में, विदेश विभाग ने यह जानकारी दी है. साथ ही यह भी कहा है कि इससे ताइवान की सुरक्षा में सुधार होगा. साथ ही क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, सैन्य संतुलन और आर्थिक प्रगति बनाए रखने में सहायता करेगा. वहीं ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा, “हमारी रक्षा क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए नियोजित बिक्री का स्वागत है.
बता दें कि राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व में यह ताइवान के लिए 10वां हथियार-बिक्री पैकेज है. रक्षा विभाग की रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने एक बयान में कहा, “332.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत की इस संभावित बिक्री के बारे में आज कांग्रेस को सूचित करते हुए आवश्यक प्रमाणीकरण दिया.” इसके अलावा एजेंसी ने कहा कि यह पैकेज प्राप्तकर्ता की सुरक्षा में सुधार करने में भी मदद करेगा और क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, सैन्य संतुलन और आर्थिक प्रगति को बनाए रखने में सहायता करेगा.
बता दें कि कांग्रेस के पास बिक्री को अस्वीकार करने का अधिकार है, लेकिन इस तरह के कदम की संभावना बहुत कम है, क्योंकि सांसद संयुक्त राज्य अमेरिका पर आगे बढ़ने और ताइवान के खरीद अनुरोधों को मंजूरी देने के बजाय सीधे हथियार प्रदान करने पर जोर दे रहे हैं. दशकों पुरानी नीति में, संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी आत्मरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ताइवान को हथियार बेचता है. राज्य सचिव एंटनी ब्लिंकन ने जून की शुरुआत में बीजिंग का दौरा किया था. इस दौरान चीन ने ताइवान पर कोई समझौता नहीं करने की कसम खाई. हालांकि दोनों पक्षों ने तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए कम्युनिकेशन बनाए रखने की आशा व्यक्त की.