पिछले साल श्रीलंका में आए आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic Crisis) से हर कोई वाकिफ है. अभी तक देश इस संकट से उबर नहीं पाया है. यहां लोगों का काफी बुरा हाल है. इस बीच श्रीलंकाई संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अबेवर्धने (Mahinda Yapa Abeywardena) ने शुक्रवार को भारत को वित्तीय सहायता के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने भारत को श्रीलंका का घनिष्ठ सहयोगी और भरोसेमंद मित्र बताया. बता दें कि भारत ने उस समय श्रीलंका की मदद की जब वह अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहा था.
न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी के कारण, श्रीलंका साल 2022 में एक भयावह वित्तीय संकट की चपेट में आ गया, जो 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद सबसे खराब स्थिति थी. जब देश संघर्ष कर रहा था और संकट की चपेट में था, तो भारत ने अपनी ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के अनुरूप, कई क्रेडिट लाइनों और मुद्रा समर्थन के माध्यम से श्रीलंका को पिछले साल लगभग 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बहु-आयामी सहायता प्रदान की.
‘भारत ने वित्तीय संकट के दौरान हमें बचाया’
राजधानी कोलंबो में भारतीय यात्रा कांग्रेस के प्रतिनिधियों के लिए आयोजित भव्य रात्रिभोज समारोह में अपने संबोधन के दौरान महिंदा यापा अबेवर्धने ने कहा, ‘भारत ने वित्तीय संकट के दौरान हमें बचाया अन्यथा हम सभी के लिए एक और नरसंहार होता.’ शाम के स्वागत समारोह में श्रीलंकाई संसद के अध्यक्ष ने नकदी संकट से जूझ रहे अपने देश को दी गई मदद के लिए भारत को धन्यवाद दिया और दोनों देशों और उनकी संस्कृतियों के बीच सभ्यतागत संबंधों और समानताओं को याद किया.
‘भारत बहुत करीबी सहयोगी और भरोसेमंद दोस्त’
अबेवर्धने ने आगे कहा, ‘श्रीलंका और भारत सांस्कृतिक, राष्ट्रीय और नीतिगत रूप से बहुत करीब से जुड़े हुए देश हैं और सबसे बढ़कर, भारत श्रीलंका का बहुत करीबी सहयोगी और भरोसेमंद दोस्त रहा है. मुसीबत में भारत ने हमेशा मदद की.’ उन्होंने कहा, ‘इस बार भी, आज, मैंने सुना है कि भारत हमारे ऋणों के पुनर्गठन को 12 साल के लिए बढ़ाने को तैयार है. कभी उम्मीद नहीं थी, और इतिहास में कभी किसी देश ने इस तरह की सहायता नहीं दी है.’
उन्होंने पिछले साल संकट के दौर में भारत द्वारा दिए गए मदद को याद किया. अबेवर्धने ने कहा, ‘मुझे आपको बताना होगा कि पिछले साल हम पर जो मुसीबत आई थी, उस दौरान आपने (भारत ने) हमें बचाया. अन्यथा हम सभी के लिए एक और नरसंहार होता. तो, इस तरह भारत हमारी मदद के लिए आया.’ उन्होंने श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त, गोपाल बागले, श्रीलंका के पर्यटन और भूमि मंत्री, हरिन फर्नांडो और श्रीलंका सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में यह टिप्पणी की.