यामी गौतम का अबतक का बेस्ट किरदार, PM बन छाए अरुण गोविल, कैसी है J&K पर बनी पॉलिटिकल ड्रामा?

यामी गौतम स्टारर ‘आर्टिकल 370’ आज बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो गई. कश्मीर और आतंकवाद पर बनी अबतक की बेस्ट फिल्म है. फिल्म को आदित्य धर ने प्रोड्यूस किया है. आदित्य की साल 2019 में आई फिल्म ‘उरी: द सर्जिकल’ स्ट्राइक ने न केवल बॉलीवुड को एक यंग सुपरस्टार- विक्की कौशल दिया बल्कि भारतीय वॉर पर बनी फिल्मों के लिए एक मिसाल भी कायम की. दमदार कैमरा वर्क, पहले कभी न देखे गए स्ट्राइक सीक्वेंस, शानदार डारेक्शनऔर बेहतरीन एडिटिंग ने दर्शकों को अट्रैक्ट किया यह ब्लॉकबस्टर साबित हुई. पांच साल बाद, आदित्य धर ‘आर्टिकल 370’ लेकर आए हैं, जो कश्मीर की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक समस्या को दिखाती है. हालांकि इस बार उन्होंने इस फिल्म को डायरेक्ट नहीं किया है. इसके डायरेक्टर आदित्य सुहास जम्भाले है.

‘आर्टिकल 370’ भले ही ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ जितना क्रिस्प और स्लीक न हो लेकिन फिर भी यह अपनी छाप छोड़ने में कामयाब है. फिल्म की शुरुआत में अजय देवगन का नरैशन फिल्म की टोन सेट कर देता है. यह आईडी फील्ड ऑफिसर ज़ूनी हक्सर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक मुजाहिदीन बुरहान वानी को एक मुठभेड़ में मारने में सफलता हासिल करती है. इसका कश्मीर पर एक विनाशकारी प्रभाव पड़ता है. लोग उसकी मौत का विरोध करते हैं और सेना पर पथराव करते हैं. आतंकवाद और बढ़ गया है. जूनी को आईडी से निलंबित कर दिया गया है और दिल्ली भेज दिया गया है. जहां अब वह मंत्रियों के घरों में शादियों के दौरान सिक्योरिटी देती है.

ज़ूनी हक्सर के किरदार में यामी गौतम

यह तब तक चलता रहता है जब तक कि पीएमओ की ज्वॉइंट सेक्रेटरी राजेश्वरी स्वामीनाथन कश्मीर में स्थिरता को लाने, आर्टिकल 370 को हटाने और एनआईए को लीड करने के लिए उनसे संपर्क नहीं करतीं. इससे ज़ूनी को कश्मीर वापस जाने और घाटी में ‘अमन’ को वापस लाने का मौका मिलता है. फिल्म में पुलवामा हमले और अलगाववादी नेताओं और अधिकारियों की कूटनीति देखने को मिलती है.

‘आर्टिकल 370’ की बेहतरीन सिनैमेटोग्राफी

‘आर्टिकल 370’ को कश्मीर की कुछ रियल लोकेशंस पर फिल्माया गया है. सिद्धार्थ वासानी ने कश्मीर की सिनेमैटोग्राफर को बहुत से कैमरे में कैद किया है. उनके हर फ्रेम से घाटी की खुशबू आती है. फिल्म की स्क्रिप्ट कमाल की है. 2 घंटे 40 मिनट में ‘आर्टिकल 370’ काफी हद तक आपको बांधे रखने में कामयाब रहती है. मेकर्स फिल्म के पहले पार्ट में कहानी के ऑरिजन को दिखाते हैं और इंटरवल के बाद इसमें तेजी है. फिल्म दूसरा पार्ट थोड़ा वाइड नजर आता है.

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