राज्यसभा में सोमवार को ‘दिल्ली-एनसीआर अमेंडमेंट बिल’ को सेलेक्ट कमिटी में भेजने के प्रस्ताव पर अपना नाम जोड़े जाने को लेकर 5 सांसदों ने कड़ी आपत्ति जताई. इन सांसदों का आरोप है कि आप सदस्य राघव चड्ढा के प्रस्ताव में उनकी सहमति के बिना उनके नाम डाले गए. उन्होंने इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने की मांग की. इस मुद्दे पर राज्यसभा के सभापति के साथ गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और राज्यसभा में सत्ता पक्ष के पीयूष गोयल ने देर रात बैठक की, जिसके बाद राघव चड्ढा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने का फैसला किया गया. वहीं अपने ऊपर लगे आरोप पर राघव चड्ढा ने कहा, ‘मुझे नोटिस मिलने दीजिए, मैं उसका जवाब दूंगा.’
इन 5 सांसदों में बीजेपी के नरहरि अमीन, सुधांशु त्रिवेदी, नगालैंड से बीजेपी सांसद फांगनोन कोन्याक के अलावा बीजेडी के सस्मित पात्रा और एआईएडीएमके सांसद व लोकसभा के पूर्व उपसभापति थंबीदुरई शामिल हैं.
दरअसल राज्यसभा में जब ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023’ पर चर्चा पूरी हो गई तब उपसभापति हरिवंश ने इसे पारित करवाने के क्रम में विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए संशोधनों को रखवाना शुरू किया. इसी क्रम में आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा का प्रस्ताव आया, जिन्होंने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव था और इसमें समिति के सदस्यों के नाम भी थे.
इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि सदन के दो सदस्य कह रहे हैं कि उनके नाम उनकी सहमति के बिना प्रस्ताव में डाले गए और प्रस्ताव पर उनके हस्ताक्षर नहीं है. शाह ने कहा कि यह जांच का विषय है. अमित शाह ने कहा, ‘यह मामला अब सिर्फ दिल्ली में फर्जीपने का नहीं है. यह सदन के अंदर फर्जीवाड़ा का मामला है.’ उन्होंने दोनों सदस्यों के बयान दर्ज करवा कर इस मामले की जांच करवाने के लिए कहा.
इसके बाद बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा ने कहा कि प्रवर समिति में उनका नाम रखने के लिए उनसे सम्मति नहीं ली गयी थी. उन्होंने कहा कि यह विशेषाधिकार हनन का मामला है. इस पर उपसभापति हरिवंश ने कहा कि चार-पांच सदस्यों ने कहा है कि उन्होंने समिति में अपना नाम नहीं भेजा है और इसकी जांच की जाएगी. वहीं अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई ने कहा कि उन्होंने भी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.