भारत को मालदीव (Maldives) से अपने सैन्य कर्मियों को वापस लेने के लिए कहने के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu) ने भारतीय नौसेना और मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल के बीच जल विज्ञान (Hydrology Agreement) के क्षेत्र में सहयोग के लिए 2019 के समझौते को खत्म करने का फैसला किया है. माले ने गुरुवार को भारत को उस समझौते को रद्द करने के अपने फैसले के बारे में बताया, जिस पर जून 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे. इस समझौते से भारतीय नौसेना को नेविगेशन सुरक्षा, आर्थिक विकास, सुरक्षा और रक्षा सहयोग, पर्यावरण संरक्षण, तटीय क्षेत्र प्रबंधन और वैज्ञानिक अनुसंधान में सुधार में मदद के लिए मालदीव में व्यापक हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने की अनुमति मिली थी.
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के पूर्ववर्ती इब्राहिम सोलिह ने भारत के साथ जिस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, उसके तहत नौसेना ने अब तक 3 ऐसे सर्वेक्षण किए हैं. मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भविष्य में हाइड्रोग्राफी कार्य 100 प्रतिशत मालदीव के अधिकार में किया जाएगा और केवल मालदीव के लोगों को ही इसकी जानकारी दी जाएगी. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने जिन ‘गुप्त समझौतों’ पर हस्ताक्षर किए हैं, उनकी समीक्षा का जाएगी. मुइज्जू प्रशासन के मुताबिक पिछली सरकार ने मालदीव की स्वतंत्रता और संप्रभुता को खतरे में डाल दिया था.
मुइज्जू के नेतृत्व वाली नई सरकार ने पिछले महीने ही सत्ता संभाली है. जिसे व्यापक रूप से चीन समर्थक के रूप में देखा जाता है. मोइज्जू ने पहले कहा था कि वह उन कुछ समझौतों की समीक्षा करेगी, जिन पर पिछली सरकार ने भारत के साथ हस्ताक्षर किए थे. इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ काम में तेजी लाने के प्रयासों की भी अपील की थी. जिनमें सबसे प्रमुख 50करोड़ डॉलर की ग्रेटर मेल कनेक्टिविटी परियोजना जैसी परियोजनाएं शामिल हैं. मुइज्जू उन भारतीय सैन्यकर्मियों को बाहर निकालने पर भी आमादा है, जो भारत से माले को उपहार में दिए गए 2 नौसैनिक हेलिकॉप्टरों और एक डोर्नियर विमान के संचालन और रखरखाव में शामिल हैं.
मालदीव ने हाल ही में एनएसए-स्तरीय कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था, जिसमें वह भारत, श्रीलंका और मॉरीशस के साथ सदस्य देश है. हालांकि माले के सूत्रों ने कहा कि यह केवल एक ‘प्रशासनिक मुद्दा’ था और मालदीव कॉन्क्लेव का हिस्सा बना रहेगा. भारत के साथ जल विज्ञान समझौते को रद्द करने के फैसले से मुइज्जू के तहत मालदीव की विदेश नीति में चीन की ओर झुकाव की आशंकाओं को और बढ़ावा मिलने की संभावना है.