भारत में बीटी कॉटन पर किसान कर रहे ज्यादा खर्च : अमेरिकी अनुसंधानकर्ता


भारत में किसान जेनेटिकली मॉडिफायड (जीएम) बीटी कॉटन के लिए बीज, उर्वरकों और कीटनाशकों पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं जो चिंताजनक है। यह बात अमेरिकी अनुसंधानकर्ता ने कही है।

अमेरिका के वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता ग्लेन डेविस स्टोन ने कहा, भारत में अब किसान बीज, उर्वरक और कीटनाशक पर अधिक खर्च कर रहे हैं।

स्टोन ने कहा, हमारा निष्कर्ष है कि बीटी कॉटन का प्राथमिक प्रभाव यह होगा कि कृषि संबंधी किसी लाभ के बजाय खेती में पूंजीगत खर्च बढ़ जाएगा।

नेचर्स प्लांट्स नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, जीएम बीटी कॉटन खुद कीटनाशक पैदा करता है।

भारत में इसका बीज 2002 में आया और आज देश में कॉटन की कुल खेती का 90 फीसदी बीटी कॉटन ही है।

भारत में सबसे ज्यादा बीटी कॉटन की ही खेती होती है और इसको लेकर बड़ा विवाद बना रहा है।

स्टोन ने कहा, जाहिर है कि बीटी कॉटन से 2002-2014 के दौरान कॉटन का उत्पादन बढ़कर तिगुना हो गया लेकिन उत्पादन में सबसे अधिक इजाफा बीज के व्यापक उपयोग से पहले हुआ और इसे अवश्य उर्वरकों के उपयोग में बदलाव व अन्य घातक रोग से जोड़कर देखा जाना चाहिए।

अनुसंधानकर्ता के अनुसार, भारत में कॉटन पर खासतौर से दो कीटों का प्रकोप रहता है जिनमें से बीटी कॉटन पर अमेरिकन बॉलवर्म के प्रकोप का नियंत्रण नहीं हो पाया।

स्टोन ने कहा, आरंभ में दूसरे पर नियंत्रण किया गया लेकिन कीट ने जल्द ही प्रतिरोधी क्षमता विकसत कर ली और अब यह पहले से कहीं ज्यादा घातक समस्या बन गई है।

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