प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में उर्वरक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है भारत

भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है और उन्नत फसलों के लिए उर्वरकों की अहम भूमिका है. लेकिन यह अहम क्षेत्र ही सालों तक विपक्षी शासन में उपेक्षा का शिकार रहा है, जिसका प्रभाव भारत के कृषि क्षेत्र पर पड़ता रहा. किसानों की हितैषी होने का दावा करने वाली सरकारें किसानों की उर्वरकों की मूल आवश्यकता भी पूरी ना कर सकी.

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार कार्यभार संभालने के बाद से उर्वरकों का उत्पादन बढ़ाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी. वर्ष 2014 में भारत में 225 लाख मीट्रिक टन यूरिया का ही उत्पादन होता है. किसानों की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए देश को बड़ी मात्रा में यूरिया का आयात करना पड़ता. इस पर भारत को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करने के साथ ही किसानों को भी इसकी कमी के चलते फसलों के उत्पादन में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता था.

उर्वरक उत्पादन वृद्धि और प्रधानमंत्री का संकल्प

1 मार्च सिंदरी, झारखंड के सिंदरी में 1 मार्च,2024 को आयोजित एक कार्यक्रम में 8,900 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित उर्वरक संयंत्र राष्ट्र को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा था कि 2014 में जब हमारी सरकार बनी तो उस समय देश में 225 लाख मीट्रिक टन यूरिया का ही उत्पादन होता था. इस बड़े गैप को भरने के लिए भारत में बड़ी मात्रा में यूरिया का आयात करना पड़ता था. इसलिए हमने संकल्प लिया कि देश को यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर बनाएंगे. हमारी सरकार के प्रयासों से बीते 10 वर्षों में यूरिया का उत्पादन बढ़कर 310 लाख मीट्रिक टन हो गया है.

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