कितना ताकतवर होता है चुनाव आयोग, क्‍या-क्‍या करने होते हैं काम, इस चुनाव आयुक्‍त ने रुकवा दिए थे चुनाव

चुनाव आयोग शनिवार 16 मार्च को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान और मतगणना की तारीखों का ऐलान कर देगा. उम्‍मीद की जा रही है कि देश में 6 या 7 चरणों में मतदान प्रक्रिया पूरी की जाएगी. ज्‍यादातर लोगों को लगता है कि सिर्फ निष्‍पक्ष चुनाव कराना ही चुनाव आयोग की जिम्‍मेदारी है. बता दें कि देश में संविधान लागू किए जाने से एक दिन पहले ही निर्वाचन आयोग की स्‍थापना कर दी गई थी. भारतीय निर्वाचन आयोग देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली स्वायत्त व अर्ध-न्यायिक संस्था है. स्‍थापित व्‍यवस्‍था के मुताबिक, मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य चुनाव आयुक्तों के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव 2024 कराया जाएगा.

चुनाव आयोग की जब स्‍थापना की गई थी, तब इसकी संचरना ऐसी नहीं थी. जनमा के द्वारा चुने प्रतिनिधियों का शासन होना किसी देश के लोकतांत्रिक होने की पहचान मानी जाती है. लिहाजा, भारत में लोकतंत्र की स्‍‌थापना से पहले उस संस्‍थान की स्‍थापना की गई, जो जनता के प्रतिनिधियों को चुनने के लिए शानदार व्‍यवस्‍था देने के लिए जिम्‍मेदार है. शुरुआत में इसकी संरचना के अनुसार, 1950 से 15 अक्टूबर 1989 तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त यानी सीईसी ही चुनाव आयोग का नेतृत्व करते थे. उनके साथ एक एकल-सदस्यीय निकाय होता था. बता दें कि देश के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे.

आयोग के ढांचे में 1989 में किया गया बदलाव
निर्वाचन आयोग के ढांचे में अक्टूबर 1989 में बदलाव कर तीन सदस्यीय निकाय बना दिया गया. हालांकि, ये व्‍यवस्‍था ज्‍यादा दिन नहीं चल पाई. नतीजा ये निकला कि फिर एक ही नेतृत्वकर्ता की टीम काम करने लगी. तीन साल की जद्दोजहद के बाद अक्टूबर 1993 से फिर से तीन सदस्यीय व्यवस्‍था अमल में लाई गई. इसके बाद से अब तक यही व्यवस्‍था चल रही है. इस समय राजीव कुमार मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त हैं. वहीं, ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधु चुनाव आयुक्‍त हैं. चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव, राज्यसभा चुनाव, विधानमंडल चुनाव और राष्ट्रपति चुनाव कराता है. वहीं, दूसरे चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराता है.

ताकत इतनी, कोई नहीं दे सकता इसे आदेश
ग्राम पंचायत, नगर पालिका, महानगर परिषद, तहसील और जिला परिषद के चुनाव स्वायत्त संस्‍था राज्य निर्वाचन आयोग कराती है. हालांकि, राज्‍य निर्वाचन आयोग भारतीय चुनाव आयोग के निर्देशन में काम करता है. चुनाव से जुड़े नियमों, कानूनों, फैसलों में चुनाव आयोग केवल संविधान द्वारा स्‍थापित निर्वाचन विधि के ही अधीन होता है. चुनाव आयोग इतना ताकतवर होता है कि देश की कोई दूसरी संस्‍था ना तो इसे नियंत्रित कर सकती है और ना ही आदेश या निर्देश दे सकती है. सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि निर्वाचन आयोग अकेली संस्‍था है, जो चुनाव कार्यक्रम तय करे. निष्‍पक्ष चुनाव कराना सिर्फ और सिर्फ उसी का काम है.

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