आरिफ मोहम्मद खान बोले- मोदी राज में अखंड भारत बनने की अपार संभावनाएं


आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) को मोदी सरकार (Modi Government) ने केरल (kerala) का राज्यपाल (Governor) नियुक्त किया है. आरिफ मोहम्मद खान ने News 18 Hindi को दिए इंटरव्यू में कहा है कि मुझे मोदीराज (Modi Government) में अखंड भारत (Akhand Bharat) की अपार संभावना दिखती है.

33 साल पहले देश में शाहबानो केस (Shah Bano Case) को लेकर चर्चा में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) एक बार फिर सुर्खियों में हैं. 1986 में राजीव गांधी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले (walked out of the Rajiv Gandhi Cabinet over the Shah Bano case) आरिफ मोहम्मद खान को मोदी सरकार ने केरल (kerala) का राज्यपाल (Governor) नियुक्त किया है. आरिफ मोहम्मद खान ने News 18 Hindi को दिए इंटरव्यू में कहा है कि मुझे मोदीराज (Modi Government) में अखंड भारत (Akhand Bharat) बनने की अपार संभावना दिखती है.

आरिफ मोहम्मद खान को केरल का राज्यपाल बनाए जाने के पीछे राजनीतिक विश्लेषक अलग-अलग तर्क गढ़ रहे हैं. कुछ का मानना है कि मोदी सरकार ने इस फैसले के जरिए मुस्लिम विरोधी छवि का धब्बा मिटाने की दिशा में ठोस पहल की है. तो वहीं कुछ का मानना है कि मोदी सरकार के सबसे अच्छे फैसलों में से एक अच्छा फैसला साबित होगा, जिसका असर आने वाले कुछ सालों में केरल तो छोड़ दीजिए देश के दूसरे प्रदेशों में भी नजर आएगा.

कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं आरिफ

बीते कई सालों से आरिफ मोहम्मद खान गैरराजनीतिक मंच से समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ प्रमुख तौर पर आवाज उठाते आ रहे हैं. आरिफ मोहम्मद खान का प्रगतिशील मुस्लिम चेहरा होना और केरल में 26 प्रतिशत मुस्लिम आबादी ने उनके राज्यपाल बनने में अहम रोल अदा किया है. इसके साथ-साथ तीन तलाक पर खान के बयान ने बीजेपी के लिए हमेशा ढाल का काम किया. संसद से लेकर अदालत तक आरिफ मोहम्मद खान की ट्रिपल तलाक पर दी गई तर्कसंगत दलील ने मोदी सरकार को काफी फायदा पहुंचाया. खान ने कई मौकों पर यह जताने की कोशिश कि मोदी सरकार तीन तलाक कानून मुस्लिमों के खिलाफ नहीं बल्कि मुस्लिमों के हित में लाई है. बता दें कि आरिफ मोहम्मद खान ‘कुरान एंड कंटेम्परेरी चैलेंजेज’ नामक बेस्ट सेलर किताब भी लिख चुके हैं.

आरिफ मोहम्मद खान के चयन में दूसरी बात है कि खान को बीजेपी में ही नहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का शीर्ष नेतृत्व भी काफी तवज्जो देता रहा है. पिछले कई सालों से खान विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (वीआईएफ) से जुड़े हुए हैं. दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में स्थित यह थिंक टैंक (विचार समूह) 2009 से ही सक्रिय है. इस संस्थान से जुड़े कई लोग आज मोदी सरकार में विभिन्न पदों पर अपनी भूमिका बखूबी अदा कर रहे हैं. खान अपने भाषणों और प्रगतिशील सोच के कारण आरएसएस की हमेशा से पहली पसंद रहे हैं. बीजेपी में भी कई बड़े नेता मानते हैं कि अपनी तमाम बंदिशों के बावजूद वह मजहबी कट्टरता पर अपने तर्कों से सामने वालों को चित कर देते हैं और यही स्टाइल पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भा गई. बीती 25 जून को लोकसभा में पीएम मोदी ने तीन तलाक बिल पर हो रही बहस पर आरिफ मोहम्मद खान का जिक्र इशारों-इशारों में क्या कर दिया, खान फिर मीडिया में छा गए. मोदी ने शाहबानो केस के बहाने कांग्रेस को घेरा था और मुस्लिमों को लेकर गटर वाले बयान का जिक्र किया था. पीएम मोदी ने अपने भाषण में आरिफ मोहम्मद खान का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनके एक इंटरव्यू का हवाला देते हुए कहा था कि कांग्रेस के एक मंत्री ने खुद ही कहा था कि कांग्रेस की सोच है कि मुसलमानों के उत्थान की जिम्मेदारी उसकी नहीं है, अगर वो गटर में पड़े रहना चाहते हैं तो पड़े रहने दो.

दरअसल गटर वाली बात पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय नरसिम्हा राव ने आरिफ मोहम्मद खान से एक मुलाकात में कही थी. पीएम मोदी के इस जिक्र के बाद ही आरिफ मोहम्मद खान चर्चा में आ गए थे और कई मीडिया संस्थानों ने आरिफ मोहम्मद खान की कही बातों को प्राथमिकता से लिया था.

पीएम मोदी ने तीन तलाक बिल पर हो रही बहस पर आरिफ मोहम्मद खान का जिक्र इशारों-इशारों में किया था.केरल का नया राज्यपाल नियुक्त होने पर आरिफ मोहम्मद खान ने न्यूज 18 हिंदी को एक लंबा साक्षात्कार दिया है.

पेश है केरल के नवनियुक्त राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की न्यूज 18 हिंदी के संवाददाता रविशंकर सिंह के साथ खास बातचीत

सवाल- केरल के राज्यपाल के तौर पर आपकी प्राथमिकताओं में क्या है और आप किस सोच के साथ केरल जा रहे हैं?
जवाब- देखिए मैं कोई अलग सोच या रणनीति के साथ केरल नहीं जा रहा हूं. मैं राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के तौर पर केरल जा रहा हूं. मुझे जानकारी मिली है कि वहां की सरकार अच्छा काम कर रही है. फिर भी मेरी पहली जिम्मेदारी यह सुनिश्चित कराने की होगी कि मौजूदा सरकार विधि के अनुसार कार्य करे. संविधान में साफ लिखा है कि राज्यपाल राष्ट्रपति महोदय के प्रतिनिधि के तौर पर काम करता है. एक प्रतिनिधि के तौर पर मैं राज्य सरकार के कामों पर नजर रखूंगा कि एक निर्वाचित सरकार कानून के अनुसार काम कर रही है कि नहीं. जब आप पावर में होते हैं तो आपको अपनी पावर का इस्तेमाल एक निर्धारित और तय प्रक्रिया के जरिए करना चाहिए. सरकार की विकास कार्यों को लेकर जो नीतियां हैं, जिसका उद्देश्य लोगों को फायदा पहुंचाना है वह काम हो रहा है कि नहीं. मेरा काम है इस पर नजर रखना. हमारी अगर कोई भूमिका होगी भी तो वह है सरकार की नीतियों को गति देना.

सवाल- जैसा कि आपको मालूम है कि देश के कई राज्यों से आए दिन राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच तकरार की खबर आती रहती हैं. केरल में दूसरे दल की सरकार है और आपको राज्यपाल बनाने के पीछे भी कुछ लोग यही तर्क दे रहे हैं कि किसी खास एजेंडे के तहत आपको भेजा रहा है?

जवाब- देखिए ऐसी कोई स्थिति आने का कोई चांस नहीं है. मैं वहां के सीएम को व्यक्तिगत तौर पर तो नहीं जानता हूं, लेकिन मुझे पता चला है कि वह काफी सक्षम व्यक्ति हैं, पढ़े लिखे व्यक्ति हैं और विकास की गति की चिंता करते हैं. अगर मैं उनकी चिंता में हाथ बांटने का काम करूंगा तो हमारे बीच कोई टकराव नहीं होगा. किसी विशेष सोच के साथ काम नहीं शुरू किया जाता है.

सवाल- कांग्रेस पार्टी का कहना है कि यह तो पता था कि आरिफ मोहम्मद खान को मोदी सरकार बड़ी जिम्मेदारी देगी. क्योंकि, पिछले दिनों में पीएम मोदी का संसद में दिया गया ‘गटर’ वाले बयान से आप काफी चर्चा में आ गए थे. यह क्या वाकया था, जरा विस्तार से बताएं?
जवाब- शाहबानो केस में जब मैंने इस्तीफा सौंप दिया तो मैं अपने घर नहीं गया. मैं अपने एक खास दोस्त के घर चला गया ताकि मुझसे कांग्रेस पार्टी के कोई भी नेता संपर्क न कर सकें. अगले दिन जब मैं संसद गया तो कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं ने मुझे मनाने की पूरी कोशिश की. सबसे आखिर में नरसिम्हा राव जी मेरे पास आए और कहा कि तुम अच्छा भाषण देते हो, लेकिन जिद्दी बहुत हो. देखो कांग्रेस पार्टी मुसलमानों का सामाजिक सुधार करने के लिए राजनीति नहीं करती है. इसलिए तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? अगर कोई गटर में पड़े रहना चाहता है तो रहने दो.

सवाल- आपकी छवि सुधारवादी और प्रगतिशील नेता के तौर पर रही है और जिस तरह से एक सीधा-सीधा बंटवारा इस उपमहाद्वीप में हो गया था. आप इस बंटवारे को किस नजरिए से देखते हैं और आपकी भविष्य में क्या उम्मीदें हैं?

जवाब- देखिए यह बंटवारा तो बड़ा ही सुपरफीशियल है. लोगों की भावनाओं देखता हूं तो लोग कहते हैं बस यह काम आप कर डालिए. मैं कर सकता हूं नहीं कर सकता हूं यह महत्वपूर्ण नहीं है. लोगों की भावना है वे (लोग) इस काम को होते हुए देखना चाहता है. अगर वो डिपली डिवाइडेड होता तो इस बात की उम्मीद नहीं करता. मुझे अखंड भारत की संभावना नहीं अपार संभावना दिखती है.

सवाल- आरिफ मोहम्मद जिस तरह से 1986 से सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाते आ रहे हैं. क्या राज्यपाल बनने के बाद भी उन मुद्दों पर बोलते रहेंगे? क्या आर्टिकल 370, 35ए या बाबरी मस्जिद जैसे मुद्दों पर भी आप अपनी बात रखेंगे?

जवाब- जिस मामले को लेकर संविधान में संशोधन हुआ हो उस पर बेबाक राय रखने में क्या दिक्कत है? उसमें क्या परेशानी है, वह तो अब संविधान है. बाबरी मस्जिद, अयोध्या का मामला अदालत में है इस पर मैंने क्या बेबाक राय रखी है? मैंने तो हमेशा कहा है कि यह मामला सबजुडिस है. लेकिन मैंने जो बात 86 में कही थी वह आज भी कह सकते हैं और शायद आप भी कह सकते हैं. मैं लॉ के खिलाफ बात करूंगा तो मुझे बात करने में डर लगेगा. मैं लॉ के मुताबकि बात करूंगा तो मुझे सफाई से कहना पड़ेगा.

सवाल- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हमारा पड़ोसी मुल्क एक खास वर्ग को लेकर अनाप-शनाप आरोप लगा रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि इन आलोचनाओं के बीच मोदी सरकार ने पड़ोसी मुल्क को कड़ा संदेश देने के लिए आपकी नियुक्ति की है?

जवाब- देखिए जो लोग यह बात कह रहे हैं वही जवाब दे सकते हैं और अगर उसको हम सही मान लें तो इस पर तो मोदी जी की तो तारीफ होनी चाहिए. अगर उस चीज पर हम संज्ञान ले रहे हैं, जो हमारे खिलाफ कही जा रही है तो अच्छी बात है. अगर किसी प्रोपेगंडा पर हमने काम किया है तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए.

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